...

5 views

बारिश और हम तुम............✍🏻
बारिश और हम तुम क्यों ना एक मुलाक़ात करें
चलों इज़हार-ए-इश्क़ की तमाम पुरानी बात करें
बारिश की बूंदें कुछ इस तरह गले से लिपट रही है
आहिस्ता-आहिस्ता इश्क़ की इक लम्बी रात करें

सांसों की गर्माहट इश्क़ की दास्तां बयां कर गई
बारिश की बूंदों के साथ आज फिर करामात करें
हमारे दरमियान मोहब्बत की रंगत यूं निखर रही है
पहली मुलाक़ात की गुफ़्तगू से फिर शुरूआत करें

निगाहों ही निगाहों में शिकायतों का ज़िक्र हो गया
क्यों न आज इन ख़ामोश लबों से कुछ सवालात करें
चोरी छुपें मुलाक़ातों का आज फिर बहाना मिल गया
बारिश की बूंदों के साथ क्यों ना अंजान मुलाक़ात करें

यूं ही नहीं एहसासों को फिर से गुनगुनाते चलें हम तुम
गुजरते हुए लम्हों के साथ इश्क़ की इक बरसात करें
वो तमाम रस्मों - रिवाजों से बंधा हुआ हमारा रिश्ता
आहिस्ता आहिस्ता एहसासों के नाम कुछ सौग़ात करें

वो तेरी मेरी नोंक झोंक इश्क़ की गहराई नाप गई
ये बारिश की बूंदों आज हम से क्या इशारात करें
मौसम-ए-इश्क़ का मिज़ाज अब मैं क्या बंया करूं
बारिश और हम तुम क्यों ना फिर से मुलाक़ात करें

© Ritu Yadav
@My_Word_My_Quotes