...

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Khyalon Mein Uljhe........
ऐसे शीशे में देखकर क्यों मुस्कुरा रहे हो?
कोई बात है तो क्यों नहीं बता रहे हो?
तुम्हारे चेहरे की झूठी हंसी कुछ बयां कर रही है,
उस राज़ को अंदर क्यों दबा रहे हो?

अभी भी उन बातों पर ही अटके हो,
उन जख्मों में मरहम भी नहीं लगाया!
लोग हैं,आते जाते रहते हैं
क्या ये तुम्हें किसी ने नहीं...