...

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Ehsaas dil k....
बहुत थक चुकी हू.. ये राज़ छुपाते हुए
बहुत दूर हो गए थे हम पास आते हुए....
नाराजगी की भी हद्द है और मैं क्या क्या करू
मैं पत्थर न हो जाऊ...कही उसे मनाते हुए....
हम भी रोये,बहुत रोये, अकेले में मगर
पर उससे जब भी मिले मुस्कुराते हुए...
उसने भी फिर हमसे कहा नजरें मिलाई
हम भी आगे बढ़ गए..उनसे हाथ मिलाते हुए...
एक वो है जो रिश्ता तोड़ गया हमसे
और हम टूट गए ...उससे रिश्ता निभाते हुए...
यू भी हुआ कई बार हम कुछ भी न बोले
सामने से गुज़र गए...बस आंख मिलाते हुए...
गलती उसकी नही है वक्त का इशारा था
रो दिए तेरे दर पर ...अपना किस्सा सुनाते हुए.