...

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थोड़ी सहमी-सहमी सी है ज़िंदगी
थोड़ी सहमी-सहमी सी है ज़िंदगी,
सपनों के परों से थमी सी है ज़िंदगी।

उम्मीदों का सूरज रोज़ निकलता है,
पर हार के बादलों में घिरी सी है ज़िंदगी।

कभी मुस्कान में छिपा दर्द गहराता...