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आहट
आजकल इन अंधेरी रातों में,
एक आहट सुनाई देती है।
इन रातों के अंधेरों में किसी की,
परछाई दिखाई देती है।
सुनकर उस आहट को,
मैं खामोश सी रह जाती हूं।
उन रातों के सन्नटो में,
मैं खुद भी कहीं गुम हो जाती हूं।
जब दिखती है सूरज की पहली किरण,
जो मन में उम्मीद जगाती है।
इस अंधेरे से डरो नहीं,
ये बात बार -बार दोहराती है।
अब तो ओझल होने लगा है,
ज़िन्दगी से हर अंधेरा।
और खुशियों के फूलों से,
महक रहा है जीवन मेरा।
© Preet vyas
एक आहट सुनाई देती है।
इन रातों के अंधेरों में किसी की,
परछाई दिखाई देती है।
सुनकर उस आहट को,
मैं खामोश सी रह जाती हूं।
उन रातों के सन्नटो में,
मैं खुद भी कहीं गुम हो जाती हूं।
जब दिखती है सूरज की पहली किरण,
जो मन में उम्मीद जगाती है।
इस अंधेरे से डरो नहीं,
ये बात बार -बार दोहराती है।
अब तो ओझल होने लगा है,
ज़िन्दगी से हर अंधेरा।
और खुशियों के फूलों से,
महक रहा है जीवन मेरा।
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