...

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प्रकृति
प्रकृति होती है नारी सी
हमेशा सहती ही रहती
वो जो दे सकती वो देती
कभी कुछ मांगती न लेती
गुनगुनाती खुद खुश रहती
उसे सताते जुल्म ढहाते हम
पहले तो कभी कुछ न कहती
जब बात हद से ही गुजर जाती
तब फिर वो नहीं कभी चुप रहती
दिखाती वो अपना रुद्र रूप तब ही
आते आँधी तूफां बाढ धरती हिलती 💦💤💦
@सुभाष