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लाइक मिले ना मिले
लाइक मिले ना मिले मैं लायक छोड़ जाऊंगा ।
अपनी रूह के पीछे मैं नायक छोड़ जाऊंगा ।।
मुल्तवी मौत को होती है शोहरत जान वालों की।
अपनी जान के ताबूत शराफत छोड़ जाऊंगा।।
वक्त जो खोलेगा ताबूत मिलेंगे बूंद शबनम के।
बचेगा चंद ही जर्रा हमारी याद - आंगन के।
छलक जाएगा अश्क यूं ढलकता रूपदा मोती।
सदा तहरीर के पीछे कयामत छोड़ जाऊंगा।
कोई ढूंढेगा पलकों में कोई ढूंढेगा ख्वाबों में।
मैं चुपके शोर मचाऊँगा मोहब्बत से बलाओं में।
अरे बेफिक्र दुनिया की मुसीबत मोल ना लेना।
हर इक अल्फ़ाज़ के पीछे सुकूं से मुस्कुराऊंगा।।
परेशां हो न हो नब्जें परेशां है हयात - ए -बज़्म ।
बड़ा दिलकश है ये आका इवादत है तो मेरा नज़्म ।
इनायत हो न हो उनकी चमन मैं कह नहीं सकता।
सिरफ इक फूल के काबिल मैं शाश्वत छोड़ जाऊंगा।
© शैलेंद्र मिश्र 'शाश्वत' 12/12/12
अपनी रूह के पीछे मैं नायक छोड़ जाऊंगा ।।
मुल्तवी मौत को होती है शोहरत जान वालों की।
अपनी जान के ताबूत शराफत छोड़ जाऊंगा।।
वक्त जो खोलेगा ताबूत मिलेंगे बूंद शबनम के।
बचेगा चंद ही जर्रा हमारी याद - आंगन के।
छलक जाएगा अश्क यूं ढलकता रूपदा मोती।
सदा तहरीर के पीछे कयामत छोड़ जाऊंगा।
कोई ढूंढेगा पलकों में कोई ढूंढेगा ख्वाबों में।
मैं चुपके शोर मचाऊँगा मोहब्बत से बलाओं में।
अरे बेफिक्र दुनिया की मुसीबत मोल ना लेना।
हर इक अल्फ़ाज़ के पीछे सुकूं से मुस्कुराऊंगा।।
परेशां हो न हो नब्जें परेशां है हयात - ए -बज़्म ।
बड़ा दिलकश है ये आका इवादत है तो मेरा नज़्म ।
इनायत हो न हो उनकी चमन मैं कह नहीं सकता।
सिरफ इक फूल के काबिल मैं शाश्वत छोड़ जाऊंगा।
© शैलेंद्र मिश्र 'शाश्वत' 12/12/12
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