पापा
ऊँगली थामे खड़े वो तब भी यहीं थे,
बात है ये तबकी जब ये दुनिया मेरे लिए अंजान थी,
वो हर ख्वाहिश मेरी ख़ामोशियों में पढ़ते थे,
"पापा" तो नाम ही मेरी पहचान थी,
आज कुछ साल बाद,
मैं भी यहीं हूँ, वो भी यहीं हैं,
जिंदगी ने पकड़ी है रफ़तार
अब नहीं रास्ते बेनाम हैं,
कुछ फासलों...
बात है ये तबकी जब ये दुनिया मेरे लिए अंजान थी,
वो हर ख्वाहिश मेरी ख़ामोशियों में पढ़ते थे,
"पापा" तो नाम ही मेरी पहचान थी,
आज कुछ साल बाद,
मैं भी यहीं हूँ, वो भी यहीं हैं,
जिंदगी ने पकड़ी है रफ़तार
अब नहीं रास्ते बेनाम हैं,
कुछ फासलों...