...

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पापा
ऊँगली थामे खड़े वो तब भी यहीं थे,
बात है ये तबकी जब ये दुनिया मेरे लिए अंजान थी,
वो हर ख्वाहिश मेरी ख़ामोशियों में पढ़ते थे,
"पापा" तो नाम ही मेरी पहचान थी,

आज कुछ साल बाद,

मैं भी यहीं हूँ, वो भी यहीं हैं,
जिंदगी ने पकड़ी है रफ़तार
अब नहीं रास्ते बेनाम हैं,
कुछ फासलों का है इख्तियार,

पर आज भी,

जान जाते हैं मुझसे पहले मेरी खामोशियाँ,
पापा आज भी पहचान हैं,
मुझसे तो नहीं कहते,
पर अब मुझमे उनके अरमान हैं,

पापा आप भी ना

मेरे लिए कहते हैं- 'आसमां भी क्या?
जब चाँद पर पावों के निशान हैं,'
पर अक्सर खुद ही भूल जाते हैं

हाँ माना आप महान हैं!
पर पापा आप भी इंसान हैं,

आज मैं जो भी हूँ, आपसे हूँ,
आप ही तो वो जहां हैं,
जिसमें मेरे पास वो सब है,
जो ख्वाबों में भी कहाँ है?

Happy Father's Day