वो भी मैं भी
थे एक अरसे से परेशान दोनों, वो भी मैं भी
थे बदकिस्मत इंसान दोनों, वो भी मैं भी
लज़्ज़त ए इश्क़ से अंजान दोनों, वो भी मैं भी
थे बेवफाई से हलकान दोनों, वो भी मैं भी
फिर कुछ ऐसा हुआ
दो दिल इक जान बने दोनों, वो भी मैं भी
बने हमराज़ हमनाम दोनों, वो भी मैं भी
खुश रहने लगे हर शाम दोनों, वो भी मैं भी
थे एक दूसरे का आराम दोनों, वो भी मैं भी
बात और बढ़ी
छिड़कते एक दूसरे पे जान...
थे बदकिस्मत इंसान दोनों, वो भी मैं भी
लज़्ज़त ए इश्क़ से अंजान दोनों, वो भी मैं भी
थे बेवफाई से हलकान दोनों, वो भी मैं भी
फिर कुछ ऐसा हुआ
दो दिल इक जान बने दोनों, वो भी मैं भी
बने हमराज़ हमनाम दोनों, वो भी मैं भी
खुश रहने लगे हर शाम दोनों, वो भी मैं भी
थे एक दूसरे का आराम दोनों, वो भी मैं भी
बात और बढ़ी
छिड़कते एक दूसरे पे जान...