वो भी मैं भी
थे एक अरसे से परेशान दोनों, वो भी मैं भी
थे बदकिस्मत इंसान दोनों, वो भी मैं भी
लज़्ज़त ए इश्क़ से अंजान दोनों, वो भी मैं भी
थे बेवफाई से हलकान दोनों, वो भी मैं भी
फिर कुछ ऐसा हुआ
दो दिल इक जान बने दोनों, वो भी मैं भी
बने हमराज़ हमनाम दोनों, वो भी मैं भी
खुश रहने लगे हर शाम दोनों, वो भी मैं भी
थे एक दूसरे का आराम दोनों, वो भी मैं भी
बात और बढ़ी
छिड़कते एक दूसरे पे जान दोनों, वो भी मैं भी
हुए एक दूसरे के भगवान दोनों, वो भी मैं भी
हो रहे थे आपस मे आसान दोनों, वो भी मैं भी
थे नावाक़िफ़ ए अंजाम दोनों, वो भी मैं भी
अब बारी भगवान की थी
फिर खोने वाले थे मुस्कान दोनों, वो भी मैं भी
होने बैठे थे कुर्बान दोनों, वो भी मैं भी
कहीं हो न जाएं अंजान दोनों, वो भी मैं भी
हार गए भगवान से इंसान दोनों, वो भी मैं भी
कहानी अभी बाकी है
मिलेंगे फिर एक बार दोनों, वो भी मैं भी
जीतेंगे हर हार दोनों, वो भी मैं भी
बसाएँगे साथ घरबार दोनों, वो भी मैं भी
पूरा करेंगे अधूरा प्यार दोनों, वो भी मैं भी
-Aashutosh Shukla (हिरण)
#nazm #hindi #poetry #writcohindi #WritcoPrompt #writcopoemchallegene
थे बदकिस्मत इंसान दोनों, वो भी मैं भी
लज़्ज़त ए इश्क़ से अंजान दोनों, वो भी मैं भी
थे बेवफाई से हलकान दोनों, वो भी मैं भी
फिर कुछ ऐसा हुआ
दो दिल इक जान बने दोनों, वो भी मैं भी
बने हमराज़ हमनाम दोनों, वो भी मैं भी
खुश रहने लगे हर शाम दोनों, वो भी मैं भी
थे एक दूसरे का आराम दोनों, वो भी मैं भी
बात और बढ़ी
छिड़कते एक दूसरे पे जान दोनों, वो भी मैं भी
हुए एक दूसरे के भगवान दोनों, वो भी मैं भी
हो रहे थे आपस मे आसान दोनों, वो भी मैं भी
थे नावाक़िफ़ ए अंजाम दोनों, वो भी मैं भी
अब बारी भगवान की थी
फिर खोने वाले थे मुस्कान दोनों, वो भी मैं भी
होने बैठे थे कुर्बान दोनों, वो भी मैं भी
कहीं हो न जाएं अंजान दोनों, वो भी मैं भी
हार गए भगवान से इंसान दोनों, वो भी मैं भी
कहानी अभी बाकी है
मिलेंगे फिर एक बार दोनों, वो भी मैं भी
जीतेंगे हर हार दोनों, वो भी मैं भी
बसाएँगे साथ घरबार दोनों, वो भी मैं भी
पूरा करेंगे अधूरा प्यार दोनों, वो भी मैं भी
-Aashutosh Shukla (हिरण)
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