काश वो दिन आता
मशवरा हमें देते,उलझा हुआ खुद रहता
कांटे हमारे हटाते, कांटों में फंसा खुद रहता
नाराज़ भी...
कांटे हमारे हटाते, कांटों में फंसा खुद रहता
नाराज़ भी...