37 views
काश वो दिन आता
मशवरा हमें देते,उलझा हुआ खुद रहता
कांटे हमारे हटाते, कांटों में फंसा खुद रहता
नाराज़ भी रहता, चुपके से रंग भी लगाता
खता मुआफ होती, पकवान साथ में जो खाता
दूर हो गए हैं आज,काश फिर से वो दिन आता
शरारती दोस्त मेरे,पल-पल है याद आता ।
© Bhawna kumari
कांटे हमारे हटाते, कांटों में फंसा खुद रहता
नाराज़ भी रहता, चुपके से रंग भी लगाता
खता मुआफ होती, पकवान साथ में जो खाता
दूर हो गए हैं आज,काश फिर से वो दिन आता
शरारती दोस्त मेरे,पल-पल है याद आता ।
© Bhawna kumari
Related Stories
34 Likes
1
Comments
34 Likes
1
Comments