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मां
सबकी चिंता करने वाली वो ही मां कहलाती है।
इस छोटे से शब्द में दुनिया समाती है।।
सुबह सुबह का वो अलार्म बन जाती है।
पांच मिनट और प्लीज़ मां,पर डांट भी लगाती है।
छोटे से शब्द में दुनिया समाती है।
प्यारी मुस्कान में मासूमियत याद आती है।।
अपनी नींद त्याग कर वो खाना बनाती है।
इतनी चिंता करने वाली वो ही मां कहलाती है।।
ये अच्छा वो बहुत बुरा है, शिक्षा देती जाती है।
इसलिए ही प्रथम शिक्षिका मां ही बस कहलाती
है।।
© सृष्टि
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