नाम
हर वो नामी चेहरा,
कहीं गलियों के अंधेरे में गुमनाम था।
हर वह शोहरत के आज मैं,
पहले कभी वह भी तो पैसे का मारा मारा फिरता था।
भटकता था...
कहीं गलियों के अंधेरे में गुमनाम था।
हर वह शोहरत के आज मैं,
पहले कभी वह भी तो पैसे का मारा मारा फिरता था।
भटकता था...