//नज़्म// बह्र- १२२ १२२ १२२ १२२
तुम्हे है हमारी क़सम,तुम्हे है हमारी क़सम
पुकारें मुहब्बत से जब भी तुम्हे हम
गले से लगाने चली आना हमदम
निकल जाएगा वरना दम,तुम्हे है हमारी क़सम
हमे याद है सर्दियों की सहर वो
मिली जब हमारी थी पहली नज़र वो
क़रीब हम उसी दिन से होने लगे थे
तुम्हारी निगाहों में खोने लगे थे
इधर हाल था जो वही तो उधर था
ये पहली मुहब्बत का पहला असर था...
पुकारें मुहब्बत से जब भी तुम्हे हम
गले से लगाने चली आना हमदम
निकल जाएगा वरना दम,तुम्हे है हमारी क़सम
हमे याद है सर्दियों की सहर वो
मिली जब हमारी थी पहली नज़र वो
क़रीब हम उसी दिन से होने लगे थे
तुम्हारी निगाहों में खोने लगे थे
इधर हाल था जो वही तो उधर था
ये पहली मुहब्बत का पहला असर था...