...

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इम्तिहान और बाक़ी है
दरारें ज़मीं के सीने में,
ये किसकी साज़िश है ?
आसमां के साथ हुई,
क्या कोई रंजिश है ?
सागर की लहरें खारे बुझे
कैसे साहिल के प्यास है ?
गीली रेत पर बने घरौंदे
पक्की छत की कैसी आस है ?
जल रही है, दहक रही है,
फ़िर क्यूँ चूल्हें...