...

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ज़िंदगी भर मुस्कुराना पड़ गया
ज़िंदगी भर मुस्कुराना पड़ गया
ज़ख़्म को दिल में दबाना पड़ गया

जिसमें जाना ना हमें मंजूर था
आज उस महफ़िल में जाना पड़ गया

हारने का ना कोई दस्तूर था
इसलिए बस जीत जाना पड़ गया

ये ग़ज़ल मेरे लिए तुमने लिखी
इसलिए ही गुनगुनाना पड़ गया

दुनिया ने लाखों उठाई उँगलियाँ
इसलिए ही आज़माना पड़ गया

इश्क़ में...