...

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सपनों के सौदागर
हर क़तरा शाही जो कलम से अल्फाज़ बनते है,
वो मुझसे तुम्हारी पता पूछती रहती है।
हर क़तरा खून जो मेरी नसों में दौड़ती है,
वो मुझसे तेरा और मेरा रिश्ता पूछती है।
महबूब कहें या कहें जाने जिगर,
या कहें तुम्हे हम ज़ालिम सितमगर।
पता नहिं हमको ये प्रश्नों का उत्तर,
तुम ही कह दिया करो मेरे सपनों के सौदागर।
© Swagat Panda