तुम्हे क्या लगता है..❤
तुम्हे क्या लगता है..के तुम्हारे बिना मैं कुछ भी नही..
गलत फहमी है तुम्हारी कुछ तो हूँ मैं गर तुम भी नही..
हाँ एक फूल हूँ मैं जिसमे तुम बिन कोई खुशबू नही है..
हाँ एक दिल हूँ मैं जिसमे तुम बिन कोई आरजू नही है..
तुम बिन भी मैं एक भँवरा हूँ,जिसमे श्याम रंग नही है..
तुम बिन भी मैं एक धुन हूँ जिसका राग संग नही है..
हाँ माना के तुम बिन हूँ नदिया सा जिसमे जल ही...
गलत फहमी है तुम्हारी कुछ तो हूँ मैं गर तुम भी नही..
हाँ एक फूल हूँ मैं जिसमे तुम बिन कोई खुशबू नही है..
हाँ एक दिल हूँ मैं जिसमे तुम बिन कोई आरजू नही है..
तुम बिन भी मैं एक भँवरा हूँ,जिसमे श्याम रंग नही है..
तुम बिन भी मैं एक धुन हूँ जिसका राग संग नही है..
हाँ माना के तुम बिन हूँ नदिया सा जिसमे जल ही...