...

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भीष्म
शब्दों से बंधा हुआ है जीवन
धर्म पर अड़ा हुआ है जीवन
वचनों ने लोचन नोच लिए
बस अनर्थ देखना बाकी है

सत्य का होकर सम्पूर्ण ज्ञान
अहम संग खड़ा हुआ है जीवन
मर्यादा की माया में बहकर
बस खंड देखना बाकी है

आने वाला परिणाम जानकर
फिर भी लड़ रहा है जीवन
लहू से पट चुकी है धरती
बस सूर्य का अस्त देखना बाकी है

बाणों की सय्या पर लेट
कर्मों के फल का भोग देख
कर्त्तवयों की रस्सी टूट चुकी
बस अंत देखना बाकी है।

© meteorite