शहर मे उनके जाना गुनाह हो गया
अपना शहर अंजाना हो गया,
जब से दिल दूसरे शहर मे खो गया,
रहता था मस्ती मे ये कभी,
ना जाने क्यों ये उनकी बातो मे आ गया
जब से आया उन पर ये हमसे रूठ गया,
नींद का दामन भी आँखो से छुट गया,
मंज़िल पाने की राह मे निकल था ये कभी,
अब अपने घर का...
जब से दिल दूसरे शहर मे खो गया,
रहता था मस्ती मे ये कभी,
ना जाने क्यों ये उनकी बातो मे आ गया
जब से आया उन पर ये हमसे रूठ गया,
नींद का दामन भी आँखो से छुट गया,
मंज़िल पाने की राह मे निकल था ये कभी,
अब अपने घर का...