...

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कोई शिकवा नहीं
माना ज़िन्दगी ने क़दम-क़दम पे छला है मुझे,
पर फ़िर भी मैंने जो चाहा है वो मिला है मुझे।

ठोकरें खाकर मिलीं है मुझे अपनी हर मंजिल,
पर अपने चुनें हुए रास्तों का ना गिला है मुझे।

अब चाहें कोई मुश्किल आए, मैं घबराता नहीं,
मैं दर्द में पला क़िरदार दर्द ने ही सिला है मुझे।

मेरा तो जीवन ही बदल सा गया है कुछ ऐसे,
नज़रिया क्या बदला कोई ना लगें बुरा है मुझे।

कोई शिकवा नहीं "पुखराज" कहें ज़िन्दग़ी से,
मुसीबतें देकर तो निखारता मेरा ख़ुदा है मुझे।

© पुखराज