...

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वो, और उसका चश्मा 😁
दोस्त तू वैसे क्या कम ख़ूबसूरत थी, जो
अपने इन आँखों पर
ये चश्मे लगा लिए
तेरी आंखें तो यार, वैसे भी किसी ख़ामोश झील के पानी की तरह चमकती है
दोस्त, तू ने तो बेवजह ही अपने इन आँखों पर
ये शीशे लगा लिए
अरे, अरे तेरी ये आंखें तो यूँ ही
बेहद ख़ूबसूरत लगतीं हैं...
जैसे कि इस खुले आसमाँ के नीचे कोई
विशाल समन्दर हों,,,
तू ने तो यार, बेमतलब ही अपने इन आँखों के नीचे
ये पहरे लगा लिए
तू ख़ुद को ढूंढ के तो देख बस इक बार सिद्दत से मेरे चश्मे के पीछे,
मेरी आँखों के इन बंजर ज़मी पर
ख़ुदा कसम, तेरा चेहरा ज़रूर दिखेगा
तुझे ऐ दोस्त...
अरे ओ पगली, तू ने अपने इन आँखों पर यूँ ही
ये आईने लगा लिए
हाँ, वैसे मेरी ख़ुद की तो ये नज़रें बेहद कमज़ोर है...
आँखों पर मेरे इन चश्मों के नंबर भी बेजोड़ है...
पर, तेरी नज़रों को तकलीफ है अगर
तो, देख ना तू इस सारी कायनात को
मेरी ही नज़रों से
बाख़ुदा, बहुत चैन मिलेगा तुझे
तू ने तो यार बेकार में ही अपने इन आँखों पर
ये सफ़ेद पर्दे लगा लिए
अरे दोस्त, सचमुच तू वैसे क्या कम ख़ूबसूरत थी
जो अपने इन आँखों पर
ये चश्मे लगा लिए

© Kumar janmjai