...

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दोस्ती
बिना तुम्हारे ये दो साल इतने आसान न होते,
अगर तुम साथ न होते तो आज हम भी शायद बिखरे हुए होते,
जब टूट कर, हार कर, थक कर रुक सा गया था
तब हाथ पकड़ कर रास्ता भी दिखाया था,
मां बन कर समझाया भी
और बाप की तरह डराया भी ,
सही राह भी दिखाई
सही और गलत में फरक भी सिखाया,
आंखो ही आंखों में शैतानियां भी की
और साथ बैठ कर टांग खिंचाई भी की,
वो पल तो शायद
चांद की चकोर की तरह थे
हर बार देखने पर रूह को सुकून
आंखो में नमी और चेहरे पर मुस्कुराहट दे जाते हैं.....
© sharma