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मेरा पेशा
वो पतली तलवार है,जहां उपयोगी हो,उस धूप की छाव हैं
बंजर में जैसे एक उम्मीद,जहां गीले मठियारे की वो भाग है
हम कोशिश करते बनाने की,हो जाता लगभग उस काबिल गलत के विपक्ष में,सच्चे के पक्ष में,काम है, होना है शामिल

हम तो इसके रक्षक है,बल्कि इसका तोड़ बहुत अहिंसक है
जो बिना धमकाए,डराए, बात दिखादे,वो ऐसा सिक्षक है
साधारण एक एक से निवेदन है,बलाही की बस अपेक्षा,है
लोग सोचते है क्या क्या? यह तो बस हमारा एक पेशा है

नजर हटी,तो दुर्घटना गटी,बात सीधा,शुद्ध बहुत साफ है
अगर बुराई समाज में फैली,बदलिये वरना दोषी आप भी है
नुकसान आज नहीं,थोड़ा वक्त बाद,फिर तो असुधारक है आप समाज के उच्चपाधक गलत,तो जनता नहीं शासक है

हम तो बस तुच्छ से कोशिश है,आप सब बड़े कामयाबी है
बुरे पर बुरा,अच्छे पर अच्छा इस खदर होना हमे हाबी है
लेखक दुनिया कहती है,में कहता हूं दुनिया का हूं आईना
छोटी ज़ुबान,बड़े बातों का घटन हो,तो रख लेना माइना
© ADITYA PANDEY©