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मेरा पेशा
वो पतली तलवार है,जहां उपयोगी हो,उस धूप की छाव हैं
बंजर में जैसे एक उम्मीद,जहां गीले मठियारे की वो भाग है
हम कोशिश करते बनाने की,हो जाता लगभग उस काबिल गलत के विपक्ष में,सच्चे के पक्ष में,काम है, होना है शामिल

हम तो इसके रक्षक है,बल्कि इसका तोड़ बहुत अहिंसक है
जो बिना धमकाए,डराए, बात दिखादे,वो ऐसा सिक्षक है
साधारण एक एक से...