...

8 views

जख्म जो तूने दिए
ज़ख्म जो तूने दिए
कैसे भर पाऊंगी ....
तोड़ा मेरा जो विश्वास
तूने क्या? मै किसी पर
अब कर पाऊंगी .....
जाल शब्दों का तूने बिछाया
था , किसी और का लिखा
शेर मुझे सुनाया था ......
मैने उन शब्दों को जज्बातों
का भ्रम मान लिया ....
तुझसे बेपनाह, बेहद , बेशुमार प्यार
किया,
खता हुए जो तुझसे हाल ऐ
दिल बताने लगी ......
मै तेरी बाहों में खुद को
महफूज पाने लगी.....
मै कितनी बेफकूफ थी
सोचा तुम सच्चे हो , दिल के
इतने अच्छे हो , तुम तो
बस मेरे जज्बातों से खेल
रहे थे , मुझे खबर भी ना थी
तुम्हारे उस चेहरे की जो
तुम छुपाते थे , शायद इसलिए
तुम अपने बारे में कम ही बताते
थे। आज जब खुली आंखे
अपने सपने को मैने टूटा पाया
बिखरे थे अरमान कई मेरे मै
बहुत रोई थी । दिल से पूछना
चाहती हूं , क्या? तुम्हे दर्द में
देख मुझे जरा सी तकलीफ़
भी हुई थी ।




© All Rights Reserved