...

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थोड़ा-थोड़ा कर भूलते हो।
यकीन मानो तुम्हारी सबसे ज्यादा जरूरत जिसे है और जो तुम्हारी हर जरूरत को पूरा कर सकता है वो एक शख्स यही है;तुम्हारे पास ....
भले ही कर दिया हो तुमने उसे नज़रअंदाज ;
चाहे अनचाहे ही सही ...
डाट ले वो तुम्हे या कहे हर बात खरी ...
चाहे तुम सुनो या नही ...
कभी गिर जाओ तुम सबकी नजरो से चाहे गिराने वाला हो खुद वही।
फिर भी अंत में पाओगे तुम उसे खड़ा अपने साथ ही ,अपने पास ही
वो एक हाथ जो तुम्हें थाम लेगा और उठाएगा वही... वो बस होगा वही
जाने या अनजाने में कभी करते हो अपने दिल की सारी बातें उससे जो तुम किसी से शब्दों में कह सकते ही नहीं
क्योंकि जानते हो तुम उस जैसा कोई तुम्हें समझ सके ...मिलेगा ही नहीं।
चाहे भी वो तो; या शायद तुम चाहो.. मगर
यकीन मानो वो अकेला है जो मौत तक तुम्हें 'अकेला' छोड़कर जाएगा ही नहीं सुनो तो उसकी आवाज या शायद नहीं पहचानो उसकी...