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कहाँ कोई खवाबों का समंदर है
कहाँ कोई खवाबों का समंदर है
देख हर तरफ खामोश मंज़र है
ये खाली गिलास कोई भर दे अब ज़रा
बगैर नशे के ये जिस्म बंजर है
ये जो आहिस्ता आहिस्ता वार करता है तू
छोड़ सुना है तेरे पास एक खंजर है
तू सोचता होगा तुझपर नज़र नहीं
अफ़सोस के तेरे शहर मे कोई मुखबर है
तू ही नहीं जिसने हमें हम से छीना
तेरे जैसा और भी एक सितमगर है
कोई इख़्तियार नहीं तुझपर जानते हैं
फिर भी दिल एक मुलाक़ात का मुंतज़र है
© Sarim
देख हर तरफ खामोश मंज़र है
ये खाली गिलास कोई भर दे अब ज़रा
बगैर नशे के ये जिस्म बंजर है
ये जो आहिस्ता आहिस्ता वार करता है तू
छोड़ सुना है तेरे पास एक खंजर है
तू सोचता होगा तुझपर नज़र नहीं
अफ़सोस के तेरे शहर मे कोई मुखबर है
तू ही नहीं जिसने हमें हम से छीना
तेरे जैसा और भी एक सितमगर है
कोई इख़्तियार नहीं तुझपर जानते हैं
फिर भी दिल एक मुलाक़ात का मुंतज़र है
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