कहाँ कोई खवाबों का समंदर है
कहाँ कोई खवाबों का समंदर है
देख हर तरफ खामोश मंज़र है
ये खाली गिलास कोई भर दे अब ज़रा
बगैर नशे के ये जिस्म बंजर है
ये जो आहिस्ता आहिस्ता वार करता है तू ...
देख हर तरफ खामोश मंज़र है
ये खाली गिलास कोई भर दे अब ज़रा
बगैर नशे के ये जिस्म बंजर है
ये जो आहिस्ता आहिस्ता वार करता है तू ...