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निर्गमन शुभागमन

© Nand Gopal Agnihotri
#नमन मंच
#ता २१/१/२०२५
#निर्गमन-शुभागमन
स्वरचित - नन्द गोपाल अग्निहोत्री
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ऋतु वसंत की आहट से,
तैयारी बिदाई की होने लगी।
ठिठुराई शरद ने खूब मगर,
जाते-जाते दुलराने लगी।
श्री सूर्यदेव ने पथ बदला,
दिन की लम्बाई बढ़ने लगी।
कोहरे से ढंके अब सूर्य नहीं,
किरणें तन को गरमाने लगीं।
पाले से मुरझाईं कलियां,
धीरे-धीरे अब...