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मत जावे बलम स्याळा में ( राजस्थानी गीत)
मेरी निकळ जावेली जान पाळा में
मत जावे रे बलम छोड़ स्याळा में
पाणत जाऊं खेता माही सरसों भी चिड़ावे छै
निरख- निरख रूप आपरों मेरे पे नेैंन गडावे छै
मेरो फीखो लागै चेहरों गजरों सोवै कौन्या बाळा में
मत जावे रे बलम छोड़ स्याळा में
रोज बणाऊं चाट पकोड़ा घणे प्यार से खिलाऊँगी
गरमा गरम चाय की प्याली सीधी गुदड़ा में प्याऊँगी
लाडु गुन्द वाळा बांध धरी आळ्या में
मत जावे रे बलम छोड़ स्याळा में
रेऊ एकली घर के माही चौखी थोड़ी लागु छूँ
नींद कोनी आवे कर- कर हेरा सारी राता जागु छूँ
भरी बोतल बियर की नें क्यूँ फेंको अटाळा में
मत जावे रे बलम छोड़ स्याळा में
नटता- नटता थे गया तो म्हँ भी पीहर जाऊँली
कर लीज्यों फेर लाख कोशिस पाछी कौनी आऊँली
काई फसग्या थे रूपया का जंजळा में
मत जावे रे बलम छोड़ स्याळा में
मेरी निकळ जावेली जान पाळा में
मत जावे रे बलम छोड़ स्याळा में
मत जावे रे बलम छोड़ स्याळा में
पाणत जाऊं खेता माही सरसों भी चिड़ावे छै
निरख- निरख रूप आपरों मेरे पे नेैंन गडावे छै
मेरो फीखो लागै चेहरों गजरों सोवै कौन्या बाळा में
मत जावे रे बलम छोड़ स्याळा में
रोज बणाऊं चाट पकोड़ा घणे प्यार से खिलाऊँगी
गरमा गरम चाय की प्याली सीधी गुदड़ा में प्याऊँगी
लाडु गुन्द वाळा बांध धरी आळ्या में
मत जावे रे बलम छोड़ स्याळा में
रेऊ एकली घर के माही चौखी थोड़ी लागु छूँ
नींद कोनी आवे कर- कर हेरा सारी राता जागु छूँ
भरी बोतल बियर की नें क्यूँ फेंको अटाळा में
मत जावे रे बलम छोड़ स्याळा में
नटता- नटता थे गया तो म्हँ भी पीहर जाऊँली
कर लीज्यों फेर लाख कोशिस पाछी कौनी आऊँली
काई फसग्या थे रूपया का जंजळा में
मत जावे रे बलम छोड़ स्याळा में
मेरी निकळ जावेली जान पाळा में
मत जावे रे बलम छोड़ स्याळा में
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