...

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ज़ख़्म जो तूने दिए
ज़ख़्म जो तूने दिए, तूने दिए इसलिए संभाले रखा है
हर दर्द को सब से छुपाकर अपने सीने में पाले रखा है

ना हक जताएंगे, ना कभी किसी को दुख बताएंगे
सहने गम ए जुदाई को दिल को पत्थर सा ढाले रखा है

ना इसका कोई उपाय है, ना कोई सहाय है क्या करे?
खामोशी से हर ज़ख्म दिल ही दिल में जाले रखा है

ना तुमसे कोई शिकायत है, शायद यही किस्मत है
हर गीले शिकवे को हमने अब मन से निकाले रखा है

ना अब मन में कोई आस है, ना मिलने की प्यास है
जिंदगी का हर फैसला हमने किस्मत के हवाले रखा है
© Rashmi Kaulwar