...

9 views

अधूरा प्रेम
एक
कोशिश
किया
था
तुमको
पाने
का
असफल
रहा
खुद
को
समर्पित
किया
था
तुमपर
इस
आशा
के
साथ
की
तुम
भी
समर्पण
करोगी
मुझमें
लेकिन
निराशा
हीं
हाथ
लगी
चांदनी रात
में
छत
से
तुम्हें
अपलक
निहार
रहा
था
और
बेसब्री
से
इंतजार
कर
रहा
था
की
तुम
भी
मुझे
देखकर
मुस्कुराओ
लेकिन
ऐसा
तुम
कर
ना
सकी
मैंने
खूब
चाहा
तुझे
तुम
मुझे
थोड़ा
सा
भी

चाही
अरसा
बीत
गए
तुम्हे
देखे
लेकिन
कभी
भी
तुम
मानसपटल
से
मेरे
उतरी
हीं
नहीं
मुझे
इसका
कोई
भी
मलाल
नहीं
था
क्योंकि
जो
तुमको
लेकर
प्रेम
मेरे
भीतर
पनपा
वो
मुझे
लेकर
तुममें
पनपा
हीं

हों
तुम
मेरे
इस
अधूरे
प्रेम
कहानी
में
बेकसूर
पात्र
हो
और
मैं
भी
© Sudhirkumarpannalal Pratibha