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अधूरा प्रेम
एक
कोशिश
किया
था
तुमको
पाने
का
असफल
रहा
खुद
को
समर्पित
किया
था
तुमपर
इस
आशा
के
साथ
की
तुम
भी
समर्पण
करोगी
मुझमें
लेकिन
निराशा
हीं
हाथ
लगी
चांदनी रात
में
छत
से
तुम्हें
अपलक
निहार
रहा
था
और
बेसब्री
से
इंतजार
कर
रहा
था
की
तुम
भी
मुझे
देखकर
मुस्कुराओ
लेकिन
ऐसा
तुम
कर
ना
सकी
मैंने
खूब
चाहा
तुझे
तुम
मुझे
थोड़ा
सा
भी
न
चाही
अरसा
बीत
गए
तुम्हे
देखे
लेकिन
कभी
भी
तुम
मानसपटल
से
मेरे
उतरी
हीं
नहीं
मुझे
इसका
कोई
भी
मलाल
नहीं
था
क्योंकि
जो
तुमको
लेकर
प्रेम
मेरे
भीतर
पनपा
वो
मुझे
लेकर
तुममें
पनपा
हीं
न
हों
तुम
मेरे
इस
अधूरे
प्रेम
कहानी
में
बेकसूर
पात्र
हो
और
मैं
भी
© Sudhirkumarpannalal Pratibha
कोशिश
किया
था
तुमको
पाने
का
असफल
रहा
खुद
को
समर्पित
किया
था
तुमपर
इस
आशा
के
साथ
की
तुम
भी
समर्पण
करोगी
मुझमें
लेकिन
निराशा
हीं
हाथ
लगी
चांदनी रात
में
छत
से
तुम्हें
अपलक
निहार
रहा
था
और
बेसब्री
से
इंतजार
कर
रहा
था
की
तुम
भी
मुझे
देखकर
मुस्कुराओ
लेकिन
ऐसा
तुम
कर
ना
सकी
मैंने
खूब
चाहा
तुझे
तुम
मुझे
थोड़ा
सा
भी
न
चाही
अरसा
बीत
गए
तुम्हे
देखे
लेकिन
कभी
भी
तुम
मानसपटल
से
मेरे
उतरी
हीं
नहीं
मुझे
इसका
कोई
भी
मलाल
नहीं
था
क्योंकि
जो
तुमको
लेकर
प्रेम
मेरे
भीतर
पनपा
वो
मुझे
लेकर
तुममें
पनपा
हीं
न
हों
तुम
मेरे
इस
अधूरे
प्रेम
कहानी
में
बेकसूर
पात्र
हो
और
मैं
भी
© Sudhirkumarpannalal Pratibha
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