...

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जनर जनर के बीते पन्ने
रूह में मेरी गम है,
प्यार में आंखे नम है।।
दिल में तेरा वाकिया है,
तुम ही मेरी साखिया है।।

तुम्हीं से सीखा और तुमसे हि पाया है,
मैने खुद को तेरे ही सजदे में लुटाया है।।
क्या खता रही होगी मेरी तुमसे मेरे सनम,
जो तेरा प्यार मेरे दिल को इतना भाया है।।
आंखे मोहोब्बत ए गुलकंद दिल तेरा राबिया है।।

आंखों में रुआब भी तेरा रहा मुझे,
दिल में ख्याब भी तेरा रहा मुझे।।
दिल कि जुस्त जु गुजरी तेरे बैगर,
रूह में शबाब भी तेरा रहा मुझे।।
दिल में आहट तेरी सुरूर तेरा माफिया है

कैसे कहूं तुम्हें दिल अपनेकी,
मनोज पुष्प की रवानी है।।
जनर जनर के बीते पन्ने,
रूह अलमस्त दीवानी है।।
कुछ जानो कुछ पहचानो दिल तेरा मजाकिया है।।
© Manoj Vinod-SuthaR
जनर जनर --जन्म जन्म