...

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चाह
ज़िंदगी के हर सवालों का जवाब
जानना चाहती हूं
खुद को छोड़ आई हूं कहीं
तलाशना चाहती हूं।

मोतियों सी बिखरी ज़िंदगी को
समेटना चाहती हूं
आगे की जिंदगी चट्टान
सी खड़ी है मगर
उसको चीर कर
बहना चाहती हूं।

रंगों भरी इस दुनियां में
रंग तो अनेक है
खुद को रंगों में डूबो
रंगीन होना चाहती हूं।

रिश्तो की बेड़ियों में कैद जिंदगी
हर मोड़ पर हिस्सेदार बहुत है
बेड़ियों को तोड़
स्वच्छंद परिंदों सी
उड़ना चाहती हूं।

तकलीफों से डट कर लड़ती हूं हमेशा
पर कभी किसी कोने में अकेले बैठ
रोना चाहती हूं
पता है मुझे ज़िंदा तो हूं
पर सच में एक बार जीना चाहती हूं।।।।

23rd Nov 2019
2:54am
© Rohini Sharma