7 views
चाह
ज़िंदगी के हर सवालों का जवाब
जानना चाहती हूं
खुद को छोड़ आई हूं कहीं
तलाशना चाहती हूं।
मोतियों सी बिखरी ज़िंदगी को
समेटना चाहती हूं
आगे की जिंदगी चट्टान
सी खड़ी है मगर
उसको चीर कर
बहना चाहती हूं।
रंगों भरी इस दुनियां में
रंग तो अनेक है
खुद को रंगों में डूबो
रंगीन होना चाहती हूं।
रिश्तो की बेड़ियों में कैद जिंदगी
हर मोड़ पर हिस्सेदार बहुत है
बेड़ियों को तोड़
स्वच्छंद परिंदों सी
उड़ना चाहती हूं।
तकलीफों से डट कर लड़ती हूं हमेशा
पर कभी किसी कोने में अकेले बैठ
रोना चाहती हूं
पता है मुझे ज़िंदा तो हूं
पर सच में एक बार जीना चाहती हूं।।।।
23rd Nov 2019
2:54am
© Rohini Sharma
जानना चाहती हूं
खुद को छोड़ आई हूं कहीं
तलाशना चाहती हूं।
मोतियों सी बिखरी ज़िंदगी को
समेटना चाहती हूं
आगे की जिंदगी चट्टान
सी खड़ी है मगर
उसको चीर कर
बहना चाहती हूं।
रंगों भरी इस दुनियां में
रंग तो अनेक है
खुद को रंगों में डूबो
रंगीन होना चाहती हूं।
रिश्तो की बेड़ियों में कैद जिंदगी
हर मोड़ पर हिस्सेदार बहुत है
बेड़ियों को तोड़
स्वच्छंद परिंदों सी
उड़ना चाहती हूं।
तकलीफों से डट कर लड़ती हूं हमेशा
पर कभी किसी कोने में अकेले बैठ
रोना चाहती हूं
पता है मुझे ज़िंदा तो हूं
पर सच में एक बार जीना चाहती हूं।।।।
23rd Nov 2019
2:54am
© Rohini Sharma
Related Stories
20 Likes
32
Comments
20 Likes
32
Comments