मेरे देश का किसान
कड़कती हुई धूप में भी
वह निरंतर परिश्रम करता है।
मेरे देश में कोई भूखा न हो,
यही आश लगाए बैठा है।।
यह और कोई नहीं परंतु,
मेरे देश का किसान है।
अमर है जिसका परिश्रम,
बेमिसाल जिसकी पहचान है।।
रोज सुबह जल्दी उठकर,
वह खेत की ओर निकलता है।
खून - पसीना...
वह निरंतर परिश्रम करता है।
मेरे देश में कोई भूखा न हो,
यही आश लगाए बैठा है।।
यह और कोई नहीं परंतु,
मेरे देश का किसान है।
अमर है जिसका परिश्रम,
बेमिसाल जिसकी पहचान है।।
रोज सुबह जल्दी उठकर,
वह खेत की ओर निकलता है।
खून - पसीना...