...

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चार जून और गरीबी
#जून
चार जून की बात है
उसमें भी कुछ घात है
कौन बनेगा समय का साहु उसमे भी Pooja बैठा है राहु
कौन सी यहाँ मंजिल है किसके क्या हालात है
रोटी के है यहाँ पड़े लाले गरीबी खुद को कैसे सम्भाले
PREEET ने लिखी सच्चाई जब चरित्र कईयों के सरेआम उछाले
खुन चुस कर गरीबों अमीरों ने महल बना डाले
डालूं एक नजर इस शब्द पर कोई रहा नही यहाँ अपनी हद पर
चरित्र साफ चाहिए बहु का पर लडकी पर कौन नजर डाले
PREEET इज्जत यहाँ निलाम है बिकती कौडी के दाम है
हर गली गांव शहर मे हर सडक पर इश्क यहाँ सरेआम है
हवश के पुजारी करके रेप लडकी से बना लेते है गेप
फिर और की तलाश है यही तो मोहब्बत नाम है
शहर शहर मे ओयो OYO चले जाने से वहां कोई ना चले
लडकी लडका हुए जवान कोई जले तो सो वार जले
PREEET कच्चे चूल्हे कच्ची रोटी बेटी माँ को कहे तेरी सोच है छौटी
पापा सारी उम्र कमाते लडके लडकी मौज उढाते
हमे कया लेना देना संस्कार से हमारी मोहब्बत सब सौगात है
चार जून की रोटी के लाले बस चार जून की बात है
PREEET लिखने से भला कया होता इशक यहां बेइंतिहा होता है
कच्ची उम्र मे पके वादे इंसान सारी उम्र रोता है
पुजा प्रेम को समझे कौन ईश्वर भी बन गये है मौन
जवानी मे बच्चे पैदा कैसे होंगे बचपन मे इंसान सब खोता है
तु भी PREEET अब दुनिया दुरी बना ले
मौत को अब जरूरी बना ले
यहां तो बस यहीं रोना है दस साल का भी बाबू शौना है
पर लिखने से कुछ नही हो Pooja जो होना है वो होना है

🙏🙏

© आवारा पागल दीवाना