बदलते गए
दिल के अरमान पिघलते रहे,
जितना हम तुमसे मिलते रहे।
जाना है जितना हमने तुम्हे
उतना ही हम तरसते रहे।।
बादल घने, और चांद का दिखना
दिन को हम शाम समझते रहे
पलको में फसी जो बूंदे रहीं
उनको बगुले के मोती समझते रहे
कल क्या होगा? डर हुआ जमा,
इस डर से हम बदलते रहे।।
© him@n
जितना हम तुमसे मिलते रहे।
जाना है जितना हमने तुम्हे
उतना ही हम तरसते रहे।।
बादल घने, और चांद का दिखना
दिन को हम शाम समझते रहे
पलको में फसी जो बूंदे रहीं
उनको बगुले के मोती समझते रहे
कल क्या होगा? डर हुआ जमा,
इस डर से हम बदलते रहे।।
© him@n