...

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अहसास -ए- जिंदगी...
लिखते है लोग यहां एहसासो को ,
बातों को यहां सुनता कौन है..!

चीख़ते है लफ्ज़ पन्नों पर ,
यहां आवाजों की पुकार सुनता कौन है..!

अल्फाज़ पिघलते है, पसीजते है,
भला सिसकियां यहां सुनता कौन है..!

चुप बिल्कुल एकदम गुमसुम प्रीत क्यूं है??
मतलब की इस दुनिया में ..,
खामोशियां भी भला सुनता कौन है..!

नफरत नाराजगी का दौर है यहां..
पर इसे स्वयं से दूर करता कौन है..!

लिखते है लोग यहां एहसासो को ,
बातों को यहां सुनता कौन है..!