qadardaan.
बहुत दिनों बाद आज कुछ कलाम लिखती हूं।
ज़िंदगी को आज मैं अपना सलाम लिखती हूं।
तेज़ हुई थी ये सांसें कभी फिर भी आराम लिखती हूं।
अपनी धड़कनों को मैं बस जवान लिखती हूं।
थम गई ज़िंदगी इसे मैं कुछ आसान लिखती हूं। पर ...
देगी धोका एक दिन...
ज़िंदगी को आज मैं अपना सलाम लिखती हूं।
तेज़ हुई थी ये सांसें कभी फिर भी आराम लिखती हूं।
अपनी धड़कनों को मैं बस जवान लिखती हूं।
थम गई ज़िंदगी इसे मैं कुछ आसान लिखती हूं। पर ...
देगी धोका एक दिन...