...

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Dil ki baat....
सब पता है मुझे
कौन है संग
कौन हो रहा है तंग।
कौन है कालसर्प
सा यहां पर भुजंग।
कौन रख रहा है रंज
कौन मन मौन है
कौन कर रहा है हुड़दंग।
परेशान कर - कर
के मन को मेरे तंग
स्वप्न कर रहा है भंग
कौन कर रहा है जंग
कौन-कौन कर रहा
मुझे यहां पर तंग।
कौन-कौन है संग
दिख रहा मुझे सब रंग
फन यहां तने हुए
हम हैं डटे हुए
नाग है सब अपंग।
हरा नहीं मरा नहीं
मेरी तरह कोई
यहां खरा नहीं
स्वप्न है उनके भंग
प्रश्न तीर से युद्ध है यहां
अंत तक चलेगी जंग
शब्द है मेरे संग
सांप है यहां दंग।
स्वप्न है उनके भंग
अमित का अमिट से
चल रहा है मन में द्वंद
मत रख मुझसे कोई रंज।