...

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मुसाफिर
तू एक मुसाफिर है अगर तो मुसाफिर ही सही
यहां तक तो आया है पर ये सफर काफ़ी नहीं
अभी तो आधा ही है रास्ता जो तूने जाना है
ये तो सफऱ की एक शुरुआत है तेरे मुकाम का अंत नहीं.
मुश्किलें आएंगी हर राह हर मोड़ पर
नाकामियों का बोझ ना सोने देगा तुझे रात भर
सुबह उठ के तू खुद को कमजोर पाएगा
दोबारा चलने से शायद तू फिर घबराएगा.
पर मुसाफिर की फ़ितरत है,मुसाफिर रुकते नहीं
उचाईयो को देख मुसाफिर थकते नहीं
तू अगर मुसाफिर है तो मुसाफिर ही सही
यहां तक तो आया है पर ये सफर काफ़ी नहीं.




© Harshita