...

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मां
मैं मुस्कुराते
कभी लड़खराते ,
कभी तेरे आंचल में स्वयं को छिपाते
तेरे संग , उंगली पकड़
कभी गिरती ,कभी संभलती हूं
मां तेरी यादों में ,मैं हर रोज तड़पती हूं।।


तेरी आंखों में कभी संसार देखती हूं
और कभी आगे बढ़ने की राह देखती हूं
मां तेरी सूरत में ,मैं भगवान देखती हूं
बचपन का दुलार देखती हूं ।।

तेरे संग , तेरे रंग
आज
मैं तेरे जीवन का आधार देखती हूं ।।

तू जहां मैं वहां
आज नया आयाम लिखने से पहले
तेरा आशिर्वाद देखती हूं।।