...

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एक मुसाफिर
जिसके आने की वो राहें तकती है,
तिरछी निगाहों से जिसे वो देखती है,
जिससे बात करने के बहाने वो बुनती है,
बेखबर है वो, एक मुसाफिर है,
जिसमे वो अपना ठिकना ढूंढ़ती है।


बेखबर है वो,
मुसाफिर का सफर ही ठिकाना होता है,...