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जंजीर
इन जंजीरों को तोड़कर,
रुख हवा का मोड़कर,
चल रहे हैं देखो हम,
कहेना मान कर अपने दिल का,
करने जा रहे को मन ने थाना हे,
अब नही सहेंगे दुनिया के इन जुल्मों को,
अब तो बस इस दुनिया को दिखाना हे,
प्यार के बल पर भी जीती जा सकती हे दुनिया,
ये हथियार तो बस दिखावा हे,
दे सको तो प्यार दो इस दुनिया को,
इन नफरतों में क्या रक्खा है,
दफन होने को चाहिए दो ग़ज जमीन सबको,
कोई इन सोना चांदी रुपिया में दफन नही होता है।
© Ajinkya
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