...

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ग़ज़ल
है नहीं कोई हम-नशीन मेरा
या'नी चेहरा नहीं हसीन मेरा

छीन बैठा है मेरी हस्ती को
दर-ओ-दीवार तो न छीन मेरा

कर रहे हो जो प्यार की बातें
चूमने आए हो ज़बीन मेरा ?

कोई दे दे मिरे वजूद को दर
कोई कर ले ज़रा यक़ीन मेरा

आप ख़ुद में ही इक तमाशा हूँ
और मैं ख़ुद तमाश-बीन मेरा !
© हर्ष