...

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/ यादों की खिड़की से कुछ नज़ारे /
हवाओ में एक सनसनी थी,
हर ओर फ़ैला सन्नाटा था।
उन सबके बीच बैठा मैं
माथे पे हाँथ रखे हुए
मन मे कुछ सोचते हुए
कैसे हमने एक दूजे को छोड़ दिया
सब कुछ ख़त्म हो गया हमारे बीच
जो भी रिश्ता था उसे यूहीं
किसी कारण वश तोड़ दिया।
आँखें अश्कों से भरी थी,
पलकें भीगी थीं,
होंट लरज़ते हुए तुम्हारा नाम ले रहे थे।
हर लम्हा याद दिला रहा था हम दोनों
के बीच का वो रिश्ता जो अब नही रहा।...