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वो ख्वाब सा
वो खवाबो सा है, आंखे बंद करती हूँ तो सामने नज़र आता है, लेकिन जब आंखे खोलती हूँ तो फिर से ख्वाब सा हो जाता है, हर रात वो सपनों मैं आता है, मुझसे ढेर सारी बातें करता है, सुबह आंख खुलते ही वो गायब हो जाता है, हर रात सपनों मैं आकर वो मेरा हाथ थामता है मुझसे अपने प्यार का इकरार करता है, अपने हाथों से वो मेरी सुल्फो को सुलझाता है, मेरे माथे को चूमता है, अपने प्यार का एहसास करवाता है, लेकिन जैसे ही आंख खुलती है वो फिर से एक ख्वाब बनकर रह जाता है,
वो ख़्वाबों सा मुझे आइने मैं नज़र आता है, जब भी तयार होती हूँ, अपनी नज़रो से मेरी नज़र उतारता है, वो ख़्वाबो सा एक पल मे नज़र आकर अगले ही पल गायब हो जाता है,
वो सपनों मैं आने वाला कब हक़ीक़त में जिंदगी में आएगा, मेरी ज़िन्दगी को प्यार के रंगों से भर जाएगा, वो ख़्वाबों में आने वाला कब ज़िन्दगी में आएगा,
वो आंखे बंद करते ही सामने नज़र आता मानो सुनी सड़क पर मेरा इंतज़ार कर रहा हो, जब उसके पास जाती हूँ तो मानो सपनों में वो मेरा हर ख्वाब सजा जाता है, पर जैसे ही आंख खुलती है वो सपना सा रह जाता है, वो ख़्वाबों में आने वाला ख्वाब ही बनकर रह जाता है, दिल चाहता है काश किसी दिन ऐसा हो की वो बंद आँखों के साथ खुली आँखों को भी उनका दीदार हो.

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