...

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ज़िंदा !
यह ज़िंदगी बुरा सपना है, टूट जाएगा
इक हसीं ख़्वाब भी है, छूट जाएगा

क्या साथ लाया था तू, क्या ले जाएगा
यहीं हँसा यहीं रोया, यहीं पाया यहीं खोया

इक माँ की कोख से, जी उठा मुद्दत से
मरके दूजी की गोद, सोने चला जायेगा

रोता क्यों है पगले, कब तक खैर मनायेगा
ज़िंदा है नाम है, आख़िर मुर्दा ही कहलाएगा

शुक्र कर रब का, इन्सान है समझ पाएगा
इन्सानियत से अपना, हक़ अदा कर पाएगा

दुआ कर अच्छे करम कर, अच्छे के लिए जी
बुरे का तो हाल ख़ुदा, ना खुद भी बचा पाएगा

'इज्ज़त' कमा 'रुतबा' कमा 'शोहरत' कमा
पैसा-जायदाद क्या है, ख़ाक में मिल जाएगा

जब जाना तय है तो, चले जाना हँसते हँसते
ज़िंदा रहना नाम से, जो रूह तक समा जाएगा ।

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