...

15 views

लम्हा-लम्हा।
लम्हा-लम्हा बंट जाता है दिन,
तन्हा-तन्हा कट जाता है दिन।

यादों की बारात रात लेकर आती,
ख्वाबों संग सिमट जाता है दिन।

रात यहां मंहगाई जैसे बढ़ती है,
रूपयों जैसा घट जाता है दिन।

साल महीने नये-नये आते जाते,
रोजाना इक घट जाता है दिन।

चित्रलिखित मन कलम चलाता है पल-पल,
कविताओं सा रट जाता है दिन।

© 💕Ss