Holi poem -3
पिचकारी रे पिचकारी रे
कितनी प्यारी पिचकारी।
छुपकर रहती रोजाना,
होली पर आ जाती है,
रंग-बिरंगे रंगों को इक-दूजे पर बरसाती है।
कोई हल्की, कोई भारी,
कितनी प्यारी पिचकारी।...
कितनी प्यारी पिचकारी।
छुपकर रहती रोजाना,
होली पर आ जाती है,
रंग-बिरंगे रंगों को इक-दूजे पर बरसाती है।
कोई हल्की, कोई भारी,
कितनी प्यारी पिचकारी।...