...

2 views

फूलों की तरह


जिन्दगी है क्या - ग़म और मुस्कान का संगम
इसे जीना है कैसे ,फूलों से यही तो सीखते हैं हम !!
फूल ही तो हैं पथ प्रदर्शक हमारे ,
शूलों के बीच रहना पर अपने नैसर्गिक गुण न खोना !!

चार दिन का ही तो मिला है जीवन हमें
उसमें भी रोते रहे ग़मों का रोना
तो रह जाएगा अछूता प्रेम खुशियों का कोना !

तो मुस्कुराए फूलों की तरह
रंग और नूर , खुश्बू से भरपूर
हो जिसमें प्यार ही प्यार के दस्तूर
है आसान मुस्कुराना फूलों की तरह फूलों सा होना !!

©MaheshKumar Sharma
19/3/2023
#Writcopoem
#MeriKavitaye
#MaheshKumarSharma