मेरा वजूद
मैं फरेबी दुनिया से थक कर जब सुकून तलाशने निकलता हूँ,
तब मैं खुद के अंदर भी एक नकली 'मैं' से मिलता हूँ।
खुद से कुछ बेतुकी बहस करने के बाद जब मैं रुकता हूँ,
तब 'मैं कौन हूँ' खुद से यही पूछता...
तब मैं खुद के अंदर भी एक नकली 'मैं' से मिलता हूँ।
खुद से कुछ बेतुकी बहस करने के बाद जब मैं रुकता हूँ,
तब 'मैं कौन हूँ' खुद से यही पूछता...